मंगलवार, 29 जुलाई 2014

     वीना की कहानी 

वीना एक आदिवासी क्षेत्र में रहने वाली घरेलु महिला हे .जो की  कोटड़ा  तहसील और उदयपुर जिले में निवास करती हे,उसने मुझे बताया की बात उस समय की हे जब में एक बार अपने घर कंडी से कोटड़ा सब्जी लेने गई थी. और जब में वापस अपने घर की और रही थी तो उस समय शंकर से मिली फिर उसके बाद वे मेरे गर आने लगे और आते रहे और मुझे कुछ कुछ कहते थे फिर मै भी उनके साथ बात करने लगी और फिर एक समय बाद मै उन्होंने मुझे कहा की मुझे तेरे साथ शादी करनी हे मेने उनको मना किया पर वे नहीं माने और उन्होंने अपने घर पर भी बात कर दी उनके घर वालो ने भी उन्हें मना किया पर वे नहीं माने और वे रोज मेरे घर आने लगे और एक दिन उन्होंने कहा कि हम कही दूर चले जाते हे फिर में उनके साथ चली गई और काफी  समय उनके साथ रही फिर उनकी परीक्षा होने वाली थी इसलिए उन्होंने मुझे  अपनी  मोसी  के पास छोड़ दिया फिर थोड़े समय बाद मेने  मोसी को बोला कि मुझे अपने घर जाना उन्होंने मुझे वहा भेजा और उसके बाद वे मुझसे मिलने आये मगर में उनसे मिली और उनको बताया कि मुझे पेट में दर्द होता हे मेने कहा कि में दवाई ले लेती हु तो उन्होंने मुझे कहा कि नहीं में हु फिर दवाई क्यों ले रही हे फिर वो उसके बाद मुझे मिलते मेने उनको बच्चे के बारे में बताया तो कहने लगे कि तू पता नि कहा रखडती हे ये मेरा बच्चा नहीं हे उसके बाद से वो मुझसे मिलते मगर कुछ नहीं कहते हे मई उनको बोलती कि अपने बच्चे के लिए खर्च दे मगर वे मना कर देते थे में जब घर से भाग गयी थी तो मेरे घर वालो ने ढूंढा भी मुझे मगर में उनको नहीं मिली थी मेरी मोसी के बाद फिर में अपनी बहन के पास रहने लगी फिर मुझे पता चला कि मेरे दादाजी ऑफ हो गए हे तो फिर में अपने घर जाने के लिए तैयार हुयी और गई तो वहा मेरे पिताजी ने डांटा कहा कि तू हमारे लिए मर गई हे तू यहाँ क्यों आयी हे.और उसके बाद से में अपने बड़ी आंटी के पास रहने लगी फिर वहीं से में मजदूरी करने जाती और मेरा बच्चा भी बड़ा हो गया था फिर वह घर पर रहता था मेरा बच्चा और में काम  करने जाती एक दिन जब में घर पहुची तो मेरा बच्चा नहीं था घर पर तो मेने अपनी आंटी से पूछा तो उन्होंने बताया कि आपके पिताजी लेके गए हे तो मेने कुछ नहीं किया फिर थोड़ी देर बाद मेरी बड़ी बहन गीता आयी मुझे लेने के लिए मगर में नहीं गई फिर पापा आये और कहने लगे कि में जिन्दा हु बेटा तू क्यों ऐसा कर रही हे  चल घर पर पापा  भी रोने लगे और फिर में अपने घर चली गई फिर  तब  से पापा के साथ रहने लगी.और जब भी कोटड़ा जाती और मुझे वे मिलते तो में उनको बोलती मगर वे मुझे कुछ नहीं बोलते में बाद में कस्तूरबा गांधी बालिका हॉस्टल में काम  करने लगी उस हॉस्टल में जो मेडम थी वह सरकार कि और से बालिकाओ के लिए आने वाली कई खाद्य साम्रगी को वे खुद कही ले जाते थे या वे खुद उपयोग करते थे तो मेने उनको बोला कि मेडम आप ऐसा क्यों करते हे तो उन्होंने मुझे तू बड़ी होशियार हे नहीं ऐसा कहकर वहा से निकाल दिया और उसके बाद से में कही भी काम पर नहीं गयी और फिर में कभी कभी मजदूरी भी जाती थी 
मेने वीना से पूछा कि क्या आपने वापस उनसे संपर्क बनाने कि कोशिश नहीं कि तो उन्होंने कहा कि नहीं और मेने उनसे पूछा कि क्या आपके पिताजी वगेरे ने कुछ नहीं किया तो उन्होंने कहा कि नहीं वे करना चाहते तो बहुत कुछ कर सकते थे मगर मेरी वजह से उन्होंने कुछ नहीं किया क्योंकि मेंने उनको मना  किया था. मेने उनसे पूछा कि आपने क्यों मन किया तो उन्होने मुझे बताया कि उनके घर में और कोई उनका भाई नहीं था और उनके पिताजी के वे एकलौते पुत्र थे और में नहीं चाहती थी कि जिसने मुझे धोखा दिया में उसे धोखा दू या में भी ऐसा ही करू .इसलिए मेने कोई कदम नहीं उठाया मगर अब जब  मेरा बच्चा बड़ा हो गया हे तो उसके खर्च भी उठाना मेरे लिए मुश्किल होता हे और में कुछ काम भी तो नही करती कि उसकी पढाई का खर्च और अपना खर्च करना बहुत ही कठिन लगता हे

मेने उनसे पूछा कि आपने दूसरी शादी कि क्यों नहीं कि तो उन्होंने मुझे बताया कि बच्चे कि खातिर अगर में दूसरी शादी कर देती हु तो बच्चा बिचार कहा जाये और मेरे घर पर मेरी शादी करने के लिए काफी रिस्ते आये मगर मेने किसी से शादी नहीं की.
अगर वो मेरी मदद करे तो मेरे बच्चे के लिए खर्च उसके पढ़ने कि फिश तो में ख़ुशी से अपना जीवन बिता सकती हु
 इसके आलावा मुझे जानने मिला कि  शंकर ने किसी और लड़की से शादी भी कर ली और उसके फ़िलहाल दो बच्चिया हे तीन थी मगर एक ऑफ हो गई और अभी वह उनके साथ ही रहते हे.  .उनकी पत्नी का नाम मीरा हे और बच्चिया अभी छोटी हे इसलिए उन्होंने उनको पढ़ने भी नहीं भेजा मगर सोचने वाली बात ये हे कि 

शंकर ने इतना सबकुछ करने के बाद भी एक और पढ़ने वाली लड़की के साथ अपना रिस्ता जोड़ा और गत वर्ष ही उससे सगाई कि 
मेने इसके सिलसिले में शंकर से बात कि तो उनका कहना था कि मेने अपने पत्नी मीरा से इस बारे में पूछा था तो उन्होंने मुझे बताया कि आप अगर खर्च उठा सकते हे तो लाइए मुझे कोई दिक्कत नहीं हे तो मेने फिर ला दी उस लड़की का नाम सुरता हे  शंकर का कहना हे कि उस लड़की को भी आने वाले  वर्ष में पढ़ाएंगे  . सुरता के एक महीने का फ़िलहाल एक बच्चा भी हे जो कि नवम्बर में पैदा हुआ हे.


आप सोचिये इस कहानी से आप क्या सिख रहे हे क्या करना चहिये आपको हमें अपने विचार लिख भेजिएऔर जो वीना हे उसे केसे अपना अधिकार मिल सकता हे अगर आप कुछ अपने सुझाव  हमे भेजेंगे तो हम अपनी  कोशिश से उन्हें उनके अधिकार दिलवाने कि कोशिश करेंगे.और आप भी अगर कुछ मदद करना चाहते हे तो मुझे मेरे मो. पर संपर्क कर सकते हे  .


             नाम= विनोद कुमार मो .= 9680476008        ईमेल करने के लिए =Kumar.vinod2694@gmail.com